Friday, April 03, 2020

Lockdown'20


एक मुद्दत से आरज़ू थी,फ़ुर्सत की, मिली तो इस शर्त पे कि, 
किसी से ना मिलो .
शहरों का यूँ वीरान होना कुछ यूँ ग़ज़ब कर गया, बरसों से पड़े गुमसुम घरों को आबाद कर गया .
घर गुलज़ार., सूने शहर.,
बस्ती-बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई , आज फिर ज़िन्दगी महँगी
और दौलत सस्ती हो गई .

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