Tuesday, July 03, 2018

Mai....


“जो कुछ हूँ सामने हूँ, कुछ अंदर नहीं हूं मैं ,
ख़ादिम हूँ क़लंदर का क़लंदर नहीं हूँ मैं ,
मुझ पर से गुज़र जाइए, ग़ौहर तलाशिए ,
मैं सिर्फ़ एक पुल हूँ, समंदर नहीं हूँ मैं..!

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