"बेवक्त बेवजह मुस्कुरा देता हूँ मैं, आधे दुश्मनों को तो यू ही हरा देता हूँ मैं"!!
“जो कुछ हूँ सामने हूँ, कुछ अंदर नहीं हूं मैं , ख़ादिम हूँ क़लंदर का क़लंदर नहीं हूँ मैं , मुझ पर से गुज़र जाइए, ग़ौहर तलाशिए , मैं सिर्फ़ एक पुल हूँ, समंदर नहीं हूँ मैं..!